तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके में खींचतान बढ़ गई है. ऊटी में वीसी सम्मेलन में केवल 18 लोग शामिल हुए. गवर्नर ने पुलिस पर रोकने का आरोप लगाया.तमिलनाडु के गवर्नर आरएन. रवि और मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन की पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) में खींचतान में एक नया मोड़ आया है. दरअसल, राजभवन ने ऊटी में विश्वविद्यालय कुलपतियों (वीसी) के वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया था. मगर, इसमें केवल एक तिहाई कुलपति ही शामिल हुए. इससे राजभवन को तगड़ा झटका लगा है. यह सम्मेलन, जिसे राजभवन ने शैक्षणिक संवाद और नवाचार को बढ़ावा देने वाला बताया था. डीएमके सरकार के साथ गवर्नर के टकराव का नया अखाड़ा बन गया.
ऊटी में राजभवन परिसर में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया. तमिलनाडु के 56 उच्च शिक्षण संस्थान (Higher Educational Institutions) प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया था. इनमें 5 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 20 राज्य विश्वविद्यालय, 4 केंद्रीय संस्थान और 27 निजी विश्वविद्यालय शामिल थे. लेकिन, राजभवन के सूत्रों के अनुसार केवल 18 लोग ही शामिल हुए. इनमें से केवल दो राज्य विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि थे. वह भी कुलपति नहीं, बल्कि उनके प्रतिनिधि: पेरियार विश्वविद्यालय के शोध विभाग के निदेशक और अलागप्पा विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के एक कॉलेज प्राचार्य.
गवर्नर का आरोप: पुलिस ने रोका
गवर्नर रवि का दावा है कि स्टालिन की राज्य पुलिस ने कुलपतियों को सम्मेलन में शामिल होने से रोका. उन्होंने कहा, ‘एक कुलपति को पुलिस स्टेशन में बुलाया गया. एक अन्य ऊटी पहुंचे, लेकिन आधी रात को उनके दरवाजे पर गुप्त पुलिस ने दस्तक देकर धमकी दी कि अगर वे सम्मेलन में शामिल हुए, तो घर नहीं लौट पाएंगे.’ रवि ने इसे “आपातकाल की याद” करार दिया. हालांकि, डीएमके के राज्यसभा सांसद पी. विल्सन ने इन आरोपों को “झूठा” बताते हुए कहा कि यह सरकार के खिलाफ “उपद्रवी गतिविधियों को भड़काने” वाला गंभीर अपराध है.
