India Pakistan Tension:
भारत-पाकिस्तान को करीब से जानने वाले विशेषज्ञ ब्रह्म चेल्लानी का कहना है कि भारत वियना संधि की धारा 62 के तहत IWT से पीछे हट सकता है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है. यदि भारत जल प्रवाह को रोकता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जो सिंधु पर निर्भर है, चरमरा सकती है. हालांकि, यह भारत के लिए भी जोखिम भरा होगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे आक्रामक कदम मान सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘चीन, जो सिंधु बेसिन का 8% हिस्सा नियंत्रित करता है, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. चीन ने पाकिस्तान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत $62 बिलियन से अधिक का निवेश किया है, जिसमें पाक-अधिकृत कश्मीर में बड़े बांध शामिल हैं. यदि भारत जल प्रवाह को रोकता है तो चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर अपने बांधों के जरिए भारत पर दबाव बना सकता है. 2020 में गलवान संघर्ष के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह को प्रभावित करने की क्षमता दिखाई थी. यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों विशेष रूप से असम के लिए खतरा हो सकता है.
बांग्लादेश, जो गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा पर निर्भर है, भारत के जल नीति निर्णयों से प्रभावित हो सकता है. फरक्का बैराज विवाद पहले से ही दोनों देशों के बीच तनाव का कारण रहा है.यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ जल प्रवाह को नियंत्रित करता है तो बांग्लादेश भी अपने जल हितों की रक्षा के लिए कूटनीतिक या कानूनी कदम उठा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ आवाज उठाकर भारत को घेर सकता है.
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